चौपाल चर्चा : कहीं २ कायस्थ मिल जाए, और अगर वो व्हाट्सएप पर हो वही एक संगठन तैयार हो जाता है
कायस्थ समाज में पिछले ४० सालो में क्रांति की ज्वाला भभक रही थी वो बीते ३ सालो में सोशल मीडिया ख़ास तोर पर व्हाट्सएप के आम प्रयोग में आने के बाद बहुत बर्ज गयी है I आज समाज में व्हाट्सएप पर ही ग्रुप बन जाते है और उन्ही ग्रुपों को संगठन का भी मूर्त रूप दे दिया जाता है I
इसका परिणाम ये है कि आज ना सिर्फ कायस्थ समाज राष्ट्रीय नेताओं की चहल कदमी बढ़ गयी है बल्कि कई मायनों में तो स्थापित नेताओं की ज़मीन ही हिल गयी है I बुजुर्ग हो चुके पुराने नेता व्हाट्सएप पर आ नहीं पाते है और सोशल मीडिया पर बैठे नए लड़के रोज नए ग्रुप माफ़ कीजियेगा संगठन बना कर खुद उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष बन जाते है I
क्या ये क्रांति असर दिखा रही है ?
ऐसे में सवाल ये है की क्या वाकई ये क्रांति है या सोशल मीडिया के उभार से आया मात्र एक बुलबुला .... जानकार मानते है की सोशल मीडिया के अंधाधुंध प्रयोग के चलते है युवा कायस्थ अपनी पहचान तो बना पाते है लेकिन उसको कायम नहीं रख पा रहे है I सोशल मीडिया पर व्याप्त इन संगठनों के पास कोई सोच या दूरदर्शी योजनाये नहीं है बस सभी कायस्थ एकता , युवाओं को रोजगार और विवाह जैसी बातो पर ही अपना दम भरते है I
रचनात्मकता की कमी और ज़मीन से ना जुड़ पाने के चलते ये सोशल मीडिया के वीर जल्द ही पहचान खोने लगते है , हालत ये है की बीते ३ सालो में भी कितने नेता राष्ट्रीय हो कर लुप्त हो चले हैं I कायस्थ खबर की जानकारी में ऐसे ना जाने कितने सितारे उभरे और बाद में खो गए I लेकिन सवाल आज भी वही का वही है की कायस्थों का ज़मीनी नेता कौन
व्हाट्सएपिए नेताओं का समाधान आखिर क्या ?
३ सालो में लेकिन अब समाज व्हाट्स एप नेताओं से सवाल करना शुरू कर दियी है , और लगातार होते चुनावों में भी इनकी अनुपस्थिति कायस्थ समाज में इन पर साल उठा रही है I हालत इस कदर दुखदायी है की की लगभग १०० से ज्यदा व्हाट्सएप राष्ट्रीय अध्यक्ष के बाबजूद विधान सभा के बाद निकाय चुनावों में कायस्थों को प्रतिनिधित्व के सवाल पर ये नेता चुप्पी साध जाते है
चुनावों में टिकट ना मिलने का मुद्दे तो तेजी से उछलता है लेकिन जिनको टिकट मिला है उनको जिता पाने की रणनीति किसके पास है वो ऐसे नेता नहीं बता पाते I राजनीती में विफलता समाज को ऐसे नेताओं से किनारा करने पर मजबूर कर रही वहीं समाज में कुछ लोग व्हाट्स आप से चल कर अपनी ज़मीन भी मजबूत करने में सफल हुए हैं
क्या होगा कायस्थ व्हाट्सएप क्रांति का भविष्य
ऐसे में सवाल ये भी है की आखिर क्या होगा इनका भविष्य ? देखा जाए तो सोशल मीडिया के इस बदलते दौर में एक समय के बाद आप अपनी इमेज में टाइप्ड हो जाते हो जिसके बाद आपको उसे सुदढ़ बनाने के लिए ज़ीन पर उतरना ही पड़ता है I ऐसे में सिर्फ व्हाट्स आप पर अपनी नेतागिरी चमकाए लोगो के सामने सबसे बड़ा चैलेन्ज फंड को लेकर होता है क्योंकि वास्तविक रूप में किसी भी संगठन के लिए पैसो की ज़रूरत पड़ती है और जैसे ही ऐसे संगठन पैसो की मांग सदस्यों से करने लगते है वैसे ही लोग उस संगठन या व्हाट्सएप ग्रुप से किनारा कर लेते है I जिसके बाद वो स्वयंभू राष्ट्रीय अध्यक्ष या ग्रुप एडमिन या तो नेपथ्य में चला जाता है या फिर उसकी जगह नए एडमिन ले लेते है I
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