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कायस्थों का इतिहास

ब्रह्मा के मानस पुत्र है भगवान चित्रगुप्त

कायस्थ खबर नॉएडा I भगवान चित्रगुप्त जी ब्रह्मा के सत्रहवें और अंतिम मानस पुत्र है। ब्रह्मा ने चित्रगुप्त को भगवती की तपस्या कर आर्शीवाद पाने की सलाह दी। तपस्या पूर्ण होने पर वह देवताओं व ऋषियों के साथ आर्शीवाद देने पहुंचे, ब्रह्मा जी ने अमर होने का वरदान दिया। चित्रगुप्त का विवाह क्षत्रिय वर्ण के विश्वभान के पुत्र श्राद्ध देव ...

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श्री चित्रगुप्त जी स्तुति

जय चित्रगुप्त यमेश तव, शरणागतम शरणागतम। जय पूज्य पद पद्मेश तव, शरणागतम शरणागतम।। जय देव देव दयानिधे, जय दीनबन्धु कृपानिधे। कर्मेश तव धर्मेश तव, शरणागतम शरणागतम।। जय चित्र अवतारी प्रभो, जय लेखनी धारी विभो। जय श्याम तन चित्रेश तव, शरणागतम शरणागतम।। पुरुषादि भगवत अंश जय, कायस्थ कुल अवतंश जय। जय शक्ति बुद्धि विशेष तव, शरणागतम शरणागतम।। जय विज्ञ मंत्री धर्म ...

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कायस्थों के प्रचलित सरनेम (उपनाम )

भारत के विभिन्न प्रान्तों में निम्न उपनाम के कायस्थ अधिक रहते हैं | उत्तर भारत अम्बष्ट, अस्थाना, अधोलिया, बाल्मिकी, श्रीवास्तव, खरे, सक्सेना, माथुर, निगम, सूरध्वज, गौंड, भटनागर, कुलश्रेष्ट, कर्ण हैं | दक्षिण भारत मुदलियार, नायडू, पिल्ले, नायर, राज, मेमन, रमन, राव, करनाम, लाल, काणिक, रेड्डी, प्रसाद | राजस्थान  गुप्त, नन्द, शर्मन, फुत्तु, भावेकदानवास, माथुर | बंगाल सेन, कार, पालित, चंद्र, ...

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कायस्थों का स्त्रोत और उत्पत्ति कैसे हुई – डा संजय श्रीवास्तव

कायस्थों का स्त्रोत भग्गवान श्री चित्रगुप्तजी महाराज को माना जाता है |कहा जाता है कि ब्रह्मा ने चार वर्ण बनाये (ब्राह्मण, क्षत्रीय, वैश्य, शूद्र) तब यमराज ने उनसे मानवों का विव्रण रखने मे सहायता मांगी। फिर ब्रह्मा ११००० वर्षों के लिये ध्यानसाधना मे लीन हो गये और जब उन्होने आँखे खोली तो एक पुरुष को अपने सामने कलम, दवात-स्याही, पुस्तक ...

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