मेरे महामंत्री एवं अध्यक्षीय काल मे कायस्थ पाठशाला मुख्यालय मे उपलब्ध अभिलेखो के आधार पर मै निम्न आख्या दे रहा हूँ।और इससे सम्बंधित यदि किसी को साक्ष्य देखना हो तो वह मेरे पास उपलब्ध हैं और यदि कोई त्रुटि हो तो उसका स्वागत है। जिससे कि आख्या मे उचित सशोंधन किया जा सके।
टीपी सिंह (तेज प्रताप सिंह )
ज़रूर पढ़े : कायस्थ पाठशाला : इतिहास एवं विकास (दितीय भाग ) – टीपी सिंह की नजर से, जानिये कायस्थ पाठशाला के अलावा चौधऱी महादेव प्रसाद जी ने अलीगढ मुस्लिम विश्वविधालय तथा काशी हिन्दू विश्व विधालय की स्थापना में भी दिया सहयोग
तृतीय चरण
पैरा 9 मे उन्होने यह निम्न प्रकार लिखा है।
चौधरी महादेव प्रसाद ट्रस्ट की कुछ विशेष प्रावधान।
",,,,,,,,,,,,,,,,मेरी बेवा को मेरी दुख्तर को मेरे सबसे बडे नवास को और उसके औलाद नरीना को नसलन उसी तर्ज पर जो सबसे बड़ा हो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,को हकसनूनती हासिल होगा और इसी कायदा के बमौजिक बराबर मेरे नवासगान के औलाद नरीना के दरम्यान नसलन हकसकूनती कायम रहेगा ।,,,,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन किसी गैर शख्स को बकिराया या बिला किराया रियायतन मकान मजकूर से सकूनत करा देने का अख्तियार किसी शख्स को किसी तरह पर हासिल नही होगा। अगर इसके खिलाफ़ हो तो जमात मुदब्बरान (सदस्य साधारण सभा) उसकी बाबत एतराज कर सकेंगे और पाबन्दी करा सकेंगे । लेकिन यह लोग मकान मजकूर मे अपना मसकन या सकूनत मुस्तकिल न करा देवे तो कायस्थ पाठशाला पर मकान मजकूर बतौर बोर्डिग हाउस इस्तेमाल करना लाजमी होगा। मकान मजकूर की मरम्मत कराना और उसका कायम रखना मुतवलीयान पर फर्ज होगा। असखास हकदरान सकूनती मजकूरा वाला को यह अख्तियार हासिल रहेगा कि अपने आराम व आसायश के लिये तामीरात जदीद वसर्फ खुद बालाये जमीन व तब्दील हैसियत मकानात मुतालका कमान सकूनती करा सके।*लेकिन मकान सकूनती की हैसियत मे तब्दील करने का किसी को अख्तियार न होगा"
पैरा 10 मे चौधरी साहब ने लिखा कि ÷
"बाग बाकै मुहल्ला दरियाबाद मौसूमा बाग कल्यानी देवी हकदरान सकूनती मकान मसकूना के इस्तेमाल मे रहेगी।और उन मकानात व बाग की तब्दील हैसियत करने का अख्तियार व सर्फ खुद उन लोगो को हासिल रहेगा।और विनावर मरम्मत मकानात मजकूर व तामीरात बाग व एख्राजात बाग मुबलिग 1500 पन्द्रह सौ रूपया सलाना सर्फ किया जायेगा।"
बिहार नानपुर मे स्थित मकान व बाग के परिप्रेक्ष्य मे पाबंदी लगाते हुये पैरा 11 मे लिखा÷
'यह कि मकान व बाग नानपुर हमेशा कायम रक्खी जावे मिसमार न होने पावे और सदर दफ्तर कुल इलाका मशकरी का उसमे रखे जावे और बाग व मकान की जो हैसियत मौजूदा है उसमे कमी न होने पावे बल्कि मुनासिब तरीके पर मजीद सर सबजी की कोशिश की जावे। मकान मजकूर मे जीजा व दुख्तर व दामाद व नवासगान व वादहू हकदरान सकूनती मकान मसकून को आर्ज तौर पर साल मे माह दो माह तक कयाम करने का हक हासिल रहेगा लेकिन एसी सूरत मे नही दफ्तर या मेबंर इंचार्ज के कयाम मे किसी तरह पर खलल हो वौ हो। दौरान कयाम इन लोगो के फल व फूल बाग उनकी मसारिफ मे आयेगी और लकड़ी सोखतनी मामूली इलाका से दी जावेगी।"
इसी प्रकार शिवाला बनारस के लिये पैरा 12 मे उनहोने लिखा÷
"मौजा गौरा जिला बनारस को मेरे पिदर बुजुर्गवार ने मासरिफ शिवाला के लिये खरीद किया था लिहाजा जुमला इखराजात शिवाला बनारस आमदनी मौजा गौरा से हुआ करेगी ।क्षेत्र जो इन वख्त मौतालिक शिवाला बनारस कायम है बाद मेरे शिकस्त कर दिया जायेगा। आमदनी मौजा गौरा मजकूर से वाद एख्रराजात मामूली शिवाला के अगर कुछ बच जावे तो व रूपया किसी और काम मे सपफ न किया जावेगा। बल्कि महज शिवाला बनारस के लिये जमा होता रहेगा और जब कभी किसी गैर मामूली एखराजात मुताल्लिक़ शिवाला बनारस के जरूरत हो या कोई गैर मामूली मरम्मत करना हो तो उसमें सर्फ हो सकेगा"।
इसी प्रकार पैरा 13 मे उन्होने लिखा ÷
"यह कि अगर खुदा न खास्ता किसी वख्त पर कोई शिवाला गिर जावेगा खराब हो जावे और उसमे मामूली मरम्मत के अलावा ज्यादा रूपया लगाने की जरुरत हो तो जो रूपया एखराजात तालीमी के लिए रखा गया है उस मद के एखराजात कम करके शिवाला को उसकी असली हैसियत पर बना देना ट्रस्टियान पर फर्ज होगा।क्रमश:?निवेदन÷ उपरोक्त्त लेख लिखने का उद्देश्य कायस्थ पाठशाला एंव समाज मे कायस्थ पाठशाला के स्वर्णिम इतिहास को न्यासी एव आने वाली कायस्थ पीढ़ी तक पहुंचाना है। इस लेख की श्रखंला मे नौ मुख्य चरणो एवं चरण मे मुख्य बिन्दु के विशेष सामयिक घटना उल्लेख किया जायेगा।अतः कायस्थ सभी बन्धु तक कायस्थों की पवित्र शैक्षणिक संस्था की सम्पूर्ण इतिहास आप सभी के सहयोग से सभी तक पहुंचाने का लक्ष्य रक्खा गया है यदि आपके पास संबंधित इतिहास से जुडी कोई जानकारी या उस समय की फोटो हो तो हम सभी आपके इस सहयोग के आभारी रहेंगे।
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