सर्वानंद जी खबर लाये है एक काल्पनिक पात्र है , जो समाज के विभिन्न मुद्दों पर कटाक्ष करता है I इसका किसी भी व्यक्ति से मिल जाना एक संयोग मात्र हो सकता है I लेख में प्रस्तुत घटनाएं समाज के हित के लिए उभारी जाती है और पूर्णतया हास्य व्यंग कटाक्ष के स्तर भी समझी जाती है I
सर्वानंद जी खबर लाये है : एक रहिन ईर, एक रहिन बीर, एक रहिन फत्ते , एक रहिन हम….
सर्वज्ञानी सर्वानंद जी आज कल होली के मूड में है तो होली के फाग ही गा रहे है आप ने बच्चन जी की एक पुरानी कविता सुनी होगी
एक रहिन ईर, एक रहिन बीर, एक रहिन फत्ते , एक रहिन हम,
एक रहिन ईर, एक रहिन बीर, एक रहिन फत्ते , एक रहिन हम।
पर भांग तनिक ज्यदा हो गयी है इसलिए हमने एक दूसरी कविता गढ़ी है, शीर्षक वही है बस आज के दौर के रंग भर दिए है
एक रहिन ईर, एक रहिन बीर, एक रहिन फत्ते , एक रहिन हम।
ईर कहें चलो कायस्थ खबर वेबसाइट बनाया जाये,
बीर कहें चलो कायस्थ खबर वेबसाइट बनाया जाये,
फत्ते बोले चलो कायस्थ खबर वेबसाइट बनाया जाये,
हमउ कहा चलो कायस्थ खबर वेबसाइट बनाया जाये।
ईर बनाय अपना कायस्थ खबर वेबसाइट,
बीर ने बनाया अपना कायस्थ खबर वेबसाइट,
फत्ते बनाये अपना कायस्थ खबर वेबसाइट,
और हम???? हम तो अभै साइन इन करबे में लगे रहे।
हा हा हा….. हा हा हा…… हा हा हा….
अबे चुप वेब डिज़ाइनर ……….दूसरे की मेल आई डी हैक कर साइन इन करबो आसान है का?
एक रहिन ईर, एक रहिन बीर, एक रहिन फत्ते , एक रहिन हम।
ईर कहें चलो कछु खबर लिखो जाये,
बीर कहें चलो कछु खबरलिखो जाये,
फत्ते बोले चलो कछु खबर लिखो जाये,
हमउ कहा चलो कछु खबर लिखो जाये।
ईर ने लिखी चौकस खबर,
बीर ने लिखी चौकस खबर,
फत्ते लिखें चौकस खबर,
और हम???? हम लिखे खाली टाइटिल।
हा हा हा….. हा हा हा….. हा हा हा….
अबे चुप फर्जी पत्रकार ……….पूरी खबर पढ़ता कौन है, सबईं टाइटिलई तो पढ़त हैं बाकी तो जो हम लिखत है वो कौनो ना पढ़े
एक रहिन ईर, एक रहिन बीर, एक रहिन फत्ते , एक रहिन हम।
ईर कहें चलो विज्ञापन तो ले आओ,
बीर कहें चलो विज्ञापन तो ले आओ,
फत्ते कहें कि चलो विज्ञापन तो ले आओ,
हमउ बोले चलो विज्ञापन तो ले आओ,
ईर बटोरें खूबईं विज्ञापन,
बीर बटोरें खूबईं विज्ञापन,
फत्ते ने बटोरी खूबईं विज्ञापन,
और हम???? हमाई विज्ञापन खाली-छूँछी।
हा हा हा….. हा हा हा….. हा हा हा….
अबे चुप दलाल …….बिना विज्ञापन मिले भी बराबर लिखत रहबो सरल है का, हम चंदा ना माग सके का ?
एक रहिन ईर, एक रहिन बीर, एक रहिन फत्ते , एक रहिन हम।
ईर कहें चलो इवेंट कराये ,
बीर कहें चलो इवेंट कराये,
फत्ते कहें कि इवेंट कराये,
हमउ बोले इवेंट कराये,
ईर कराई एक इवेंटवा ,
बीर कराई दुई इवेंटवा ,
फत्ते ने कराई तीन इवेंटवा ,
और हम???? हमाई इवेंट होगा कभी ।
हा हा हा….. हा हा हा….. हा हा हा….
अबे चुप एंकर …….इवेंट कराना ज़रुँरी है क्या , हम उसकी डेट ना बढ़ा दें आगे ?
एक रहिन ईर, एक रहिन बीर, एक रहिन फत्ते , एक रहिन हम।
तो भाइयो कैसा रहा ये होली आखरी फाग अपने विचार नीचे कमेन्ट बाक्स में ज़रूर दें
-सर्वज्ञानी सर्वानन्द.