यूपी चुनाव २०१७ : बड़े राजनैतिक दलों के मुकाबले में कहाँ है कायस्थ राजनैतिक दल ?
कायस्थ राजनैतिक दल जिसका शोर पिछले २ साल से कायस्थ समाज सुन रहा है , असल में सोशल मीडिया से बने ऐसे नेताओं के बडबोलेपण से ज्यदा कुछ नहीं साबित होने जा रहा है I ऐसे राजनैतिक दलों की ज़मीनी हकीकत इस कदर खोखली है की इनके चलते राजनैतिक दलों में कायस्थ नेताओं की स्थिति भी असरकारक नहीं हो पाती है
कायस्थ खबर ने जब इस बारे में पड़ताल की तो कई ऐसे सच सामने आये जिसने कायस्थ समाज के नाम पर राजनैतिक दल होने का दावा करने वाले ऐसे संगठनो की कलाई खोल दी है I सबसे बड़ी बात इस पड़ताल में ये निकल कर आई की कायस्थ समाज के नाम पर बने राजनैतिक दल १० -२० लोगो के ग्रुप से ज्यदा कुछ नहीं है I जो अपनी बड़ी बड़ी बातो से कायस्थ युवाओं को ज़रूर भ्रमित कर लेते हैं I इनके लिए राजनैतिक दल को चलाने के लिए चंदे की डिमांड रखना जैसी बातें ही होती है I
कायस्थ समाज के नाम पर सुबह शाम दल चलाने का दावा करने वाले ऐसे नेता कभी ५००० लोगो की ऐसी भीड़ की रैली तक नहीं कर पाते है जिससे राजनैतिक दलों को ज़मीनी तोर पर इनसे कोई ख़तरा या प्रतिस्पर्धा महसूस हो सके I कहने वाले तो यहाँ तक कहते है की सतारूढ़ दलों के डमी भर है I जिनसे उसके विरोधी दलों के वोटो को काटा जा सके I
सबसे बड़ा सवाल ऐसे जातीय अस्मिता का दावा करने वाले दलों की कायस्थ समाज के प्रतिबधता की है , हमेशा कायस्थ दलों के हित की बात करने वाले ये राजनैतिक दल जब कायस्थ समाज से अलग बात करते है तो वहां जाती की बात को ही नकारते दीखते है या फिर दूसरी जातियों के बीच उन्ही की पार्टी होने का दावा करते है I
ऐसे में कायस्थ समाज को क्या अब ऐसे दलों के साथ रहना चाह्यी या फिर विभिन्न कायस्थ दलों में अपनी अपनी जगह बनाने के प्रयास में लगे कायस्थ समाज के नेताओं के साथ खड़ा होना चाह्यी ?
इन सब बातों का ज़बाब तो कायस्थ समाज को खुद ही तय करना होगा की कैसे वो राजनैतिक बिसात पर अपनी जाती के बिखरते स्वरूप को वापस ला सके
Appne sahi likha kayasth khali social sites pr dikha rahe apni Rajnitik activities, Ek kayasth ko dusare k lia time nhi.. Sb bewkoof bn rahe apne aap se aur dusro ko bna rahe…