कानाफूसी : क़यामत से कम अब ये गम नहीं की तुम और मैं रह गए हम नहीं
इन दिनों कायस्थ समाज में लोग दिल्ली एन सी आर में कायस्थ समाज के एक नेता के शांत हो कर बैठने को लेकर तरह तरह की बातें कर रहे है I पिछले २ महीने से कायस्थ समाज के किसी कार्यक्रम में उनका ना आना विभिन्न चर्चाओं को जन्म दे रहा है कोई कह रहा है की उन्होंने कुछ महीनो के लिए कायस्थ समाज के कार्यक्रमों से संन्यास ले लिया है तो कोई कह रहा है की वो अब किसी नए धमाके की तैयारी में लगे है
बहराल इन सब के बीच जितने मुह उतनी बातें I कुछ लोग जहाँ उनके इस वयवहार पर आश्चर्य चकित है वहीं उनके बहुत से विरोधी इस बात को लेकर खुश भी नजर आ रहे है I लेकिन उनके अचानक बदले रुख के साथ ही उनके पुरे गुट की उदासीनता से भी कायस्थ समाज नयी समीकरणों की अपेक्षा कर रहा है
लोगो में चर्चा है की आखिर कायस्थ समाज के कार्यक्रमों को छोड़ने के बाद उन्ही तारीखों में अन्य समाज के कार्यक्रमों में जाकर या आयोजित कर वो क्या सन्देश देना चाहते है I ये महज इत्तिफाक हो रहा है या फिर इसके पीछे कोई विशेष रणनीति काम कर रही है I
बहराल जो भी हो कायस्थ समाज में हो रहे इस बदलाव को बिखराब की एक और कड़ी ही माना जा रहा है जिससे कायस्थ समाज को एक कर रहे लोगो को ज़रुर धक्का लगा है I देखना ये होगा की आपसी खीचातानी की ये कड़ी किस नयी माला को जाना देगी या फिर यही बिखराव आगे चल कर कायस्थ समाज को एक करने में बड़ी भूमिका निभाएगा
ऐसे में हम आज सिर्फ यही गाना इस कानाफूसी को समर्पित कर रहे है और भगवान् चित्रगुप्त से प्रार्थना करेंगे की सब एक बार फिर से एक साथ आये और वो दोस्ताना फिर से कायम रहे