
संगठनो की क्रेडिट लेने की कसमसाहट ही कायस्थ समाज का दुर्भाग्य है .. क्या एक बार फिर से नाम की लड़ाई में हार जाएगा कायस्थ ?
संगठनो की क्रेडिट लेने की कसमसाहट ही कायस्थ समाज का दुर्भाग्य है, १० से ५० सदस्य वाले संगठनों के छदम राष्ट्रीय नेताओं की चाहत फिर से परवान चढ़ने को तैयार है I एक बार फिर से सिर्फ इस बात के लिए की सर्वप्रथम हमें इस मुहीम को शुरू किया की बातें दिखाई दे रही है I ये दुर्भाग्य ही है की जहाँ एक और लोग बिना संगठन के लोगो को सीधे ज़रूरतमंद की मदद करने के लिए मुहीम चला रहे है वही एक गुमनाम से संगठन ने आज फिर से विवाद खड़ा करने की कोशिश की हैकायस्थ खबर से लोगो ने बताया की सारा मामला समाज के एक ज़रूरत मंद के साथ खड़े होने पर संगठन के अध्यक्ष की तिलमिलाहट की निंदा ही की जा सकती है I गौरतलब है की उक्त संगठन का एक भी कार्यकर्ता वहां मरीज के साथ तो खड़ा नहीं दिखा और ना ही रोज मर्रा के कामो को करता दिखा I लेकिन जब उसे लगा की अब सब कुछ हो रहा है तो क्रेडिट लेने के लिए विवाद में कूद पडा है Iवही कुछ लोगो ने किसी जरुरतमंद की मदद के नाम पर अपने संगठन में मदद लेने को और फिर अपने नाम से प्रचारित करने के इस संगठन के प्रयास को भी गलत बताया है I लोगो का कहना है की एक आम आदमी इन संगठनों को ऐसे क्यूँ देगा , इसके उलट वो सीधे ज़रूरतमंद को देने में ज्यदा सही रहेगा Iकायस्थ के नाम पर ज़रूरतमंद की मदद को लगे लोगो ने कहा की उक्त संगठन को ज़मीनी बात की कोई जानकारी नहीं लेकिन समाज के लोगो की मदद के नाम पर इस तरह के विवाद से संगठन का तो कुछ नहीं बिगड़ना पर जो लोग आगे आ रहे वो पीछे हट जायेंगे I कायस्थ खबर एक बार फिर से ऐसे संगठनों के अध्यक्षों से अपील करता है की निजी हित में किसी मजबूर का काम ना बिगाड़े I वरना कल को कोई भी कायस्थ आगे से ऐसे संगठनों का नाम भी लेना पसंद नहीं करेगा I