कविता : महिला दिवस मुझे हर रोज चाहिए,महिला दिवस के लिए आभार – अलोक श्रीवास्तव
मैं मौन हूँ ,,मैं अबला हूँ ,,मैं शोषित हूँ ,,,मैं नारी हूँ ।।
उत्थान पर हूँ ,,आसमान पर हूँ बुलंदीओ पर हूँ ,,मैं नारी हूँ ।।।मैं जगतजननी हूँ,मैं आधी आबादी हूँ ,,मैं अर्धांगिनी हूँ ,,मैं नारी हूँ ।।।।मुझे सामान अधिकार चाहिएमुझे सामाजिक सुरक्षा चाहिएमुझे कोख में सुरक्षा चाहिएमुझे सामान सम्मान चाहिएमहिला दिवस मुझे हर रोज चाहिए ,,महिला दिवस के लिए आभार ।।रचना--आलोक श्रीवास्तव , #AlokSrii