क्या अभाकाम में सारंग गुट अपना विलय अब नए गंठबंधन में करेगा या अभी कायस्थ समाज नेताओं की महत्वाकांक्षा में बंटा रहेगा?
कायस्थ समाज में एक बड़ी हलचल हुई , जैसा की हमने पहले भी सुचना दी की उच्च न्यायालय में आमने सामने खड़े अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के दो पक्षों ने अदालत के बाहर समझोते किये और अपने विवादों को ख़तम किया I लेकिन अभी कायस्थ समाज इस प्रकरण के सभी दस्तावेजो के सामने आने का इंतज़ार ही कर रहा था की अभी तक इसमें कोई पक्षकार ना दिखाई देने वाले सारंग गुट ने ही इस विलय पर सवाल उठा दिए
कायस्थ समाज के वयोवृध नेता कैलाश नाथ सारंग को ही अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष होने का दावा करने वाले इस गुट के लोगो ने सोशल मीडिया पर AK श्रीवास्तव गुट पर कई आरोप लगाए I हालत यहाँ तक आ गए की आज अखिल भारतीय कायस्थ महासभा एक बार फिर वही आ कर कड़ी हो गयी जहाँ स्व एस एस लाल को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाये जाने के बाद खड़ी थी I
ये सवाल आज के दौर में इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि स्व एस एस लाल के प्रदेश अध्यक्ष रहते ही उत्तरपदेश में जब अखिल भारतीय कायस्थ महासभा का सम्मलेन हुआ और उसमे मुलायम सिंह यादव मुख्य अतिथि के तोर पर आये और उन्होंने वहां उत्तर प्रदेश में अखिल भारतीय कायस्थ महास्बाहा को दारुल सभा में एक कार्यालय के जगह दी , साथ ही 5 लाख रूपए भी प्रदेश अभाकाम को दिए
जिसके बाद से ही तत्कालीन दौर में तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष स्व एस एस लाल में कुछ खिचाव आया जिसके चलते राष्ट्रीय अध्यक्ष कैलाश नाथ सारंग ने स्व एस एस लाल को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया और AK श्रीवस्तव को प्रदेश अध्यक्ष बनाया
आज वहीं AK श्रीवास्तव जब नए राष्ट्रीय अध्यक्ष हो रहे है तो सारंग गुट का फिर से सवाल उठाना भी आश्चर्य उत्पन्न करता है क्योंकि एक बड़ा सवाल ये भी है की अगर कैलाश नाथ सारंग १९९८ से अभी तक घोषित अध्यक्ष है तो कैसे , आखिर कोई भी व्यक्ति कायस्थ समाज का आजीवन अध्यक्ष कैसे हो सकता है I
क्या समाज हित में ये संभव नहीं की आज वो सभी पुराने नेता संरक्षक की भूमिका में आ जाए और अखिल भारतीय कायस्थ महासभा को युवा विश्वसनीय हाथो में दे दिया जाए I आखिर २० सालो से समाज में नेताओं को लेकर जो अविश्वास की स्थिति बनी है वो कब तक बनी रहेगी ये विचार अब कायस्थ समाज को करना है