कई गुटों के बाद ABKM भारत बनाने की मुहीम क्या कायस्थ समाज को हमेशा भ्रमित रखने की सोच है
कायस्थ खबर ब्यूरो I कायस्थ समाज में छुटभैयों नेताओं की महत्वाकांक्षा ने समाज को ऐसे चोराहे पर लाकर खड़ा कर दिया है जहाँ से समाज के आगे बढ़ने की संभावनाए ख़तम ही हो जाती है I व्हाट्सअप्प ग्रुपों की तर्ज पर बनते इन कायस्थ संगठनो की हालत समाज मेकिसी से छुपी नहीं है , किसी ना किसी राजनैतिक दल के सामान्य कार्यकर्ता से ज्यदा महत्व ना रखने वाले इन सामाजिक नताओ की हालत इनको देख कर ही समझी जा सकती है
लेकिन महत्वाकांक्षा के मारे लोगो ने समाज को खंड खंड करने में हमेशा अग्रणी भूमिका निभाई है I जैसा की पिछले दिनों हमने देखा की अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के नाम से २ गुटों में समझोता हुआ और समाज ने रहत की सांस ली की चलो कहीं से तो एक होने की शुरूआत हुई , लेकिन इससे भी कुछ लोगो की जब नेतागिरी हाशिये पर गयी तो कुछ ना कुछ होना तो लाजमी था I
ऐसे में खुद को स्वयंभू राष्ट्रीय संयोजक माने वाले मनीष श्रीवास्तव ने बहराइच के कुलदीप सिन्हा के साथ मिलकर एक नयी मुहीम को हवा देनी शुरू कर दी , कभी वो सारे abkm को एक होने के सन्देश जारी करने लगे तो अब एक नया शिगूफा अखिल भारतीय कायस्थ महासभा भारत लेकर आ गये है I समाज में सवाल उठ रहे है की अगर मनीष को कोई नया संगठन बनाना ही है तो एक अलग नाम से बनाए , ये एक ही नाम पर विवादों को लाकर क्या हासिल होगा I
कहने वाले तो ये तक कह रहे है की मनीष के पीछे दिल्ली एनसीआर की एक मेडिकल विंग महिला समाजसेवी और ABKM सारंग गुट से हटाये गये नेता का प्रभाव है जिनके चलते ही मनीष समाज में इस नए विवाद को जनम दे रहे है I मनीष इससे पहले चुनावों के समय "i support RK sinha" भी बना चुके हैं , कमाल की बात ये थी की चुनाव होते ही मनीष "i support yogi aadityanaath " की महीम में जुट गये लेकिन ४ महीने बाद वहां दाल ना गलती देख कर फिर दुबारा "i support RK sinha" का झंडा भी बुलंद करने की मुहीम में लग गये है , बारबार मनीष का सिर्फ कायस्थ समाज की जगह बीजेपी का पक्ष लेना भी संदेह उत्पन करता है
कायस्थ नेताओं की ऐसी ही महत्वाकांक्षा ने समाज को इस कगार पर ला दिया है की आज राजनातिक तोर कायस्थ हाशिये पर है देखना ये रोचक रहेगा की दिल्ली एनसीआर के निष्काषित नेताओं के साथ मिल कर मनीष क्या नए गुल खिलाएंगे