अतुल श्रीवास्तव /कायस्थ खबर डेस्क I भगवान् चित्रगुप्त को लेकर कायस्थ समाज में चेतना जागृत हुई है जो , उसी श्रंखला मे समाज के विभिन्न लोग एवं संस्थाए भगवान् चित्रगुप्त जी के मंदिरों का निर्माण एवं जीर्णोधार भी करवा रहे है लेकिन उसके साथ ही विभिन्न समस्याए भी आ रही है I कायस्थ खबर को मिली जानकारी के मुताबिक़ संस्थाओं की भांति ये मंदिर भी विवादित हो चुके है सब जगह मुकदमे बाजी और आपसी झगड़े भी शुरू हो गए है मंदिर अधिपत्य को लेकर कायस्थ फिर से आमने सामने है|

लेकिन इन सब से अहम् मुद्दा मंदिरों की देखरेख साफ सफाई और उनकी नियमित पूजा हो गया है कायस्थ समाज में अभी तक इसको लेकर उदासीनता जस की तस है I इसी क्रम में ताजा मामला आज कायस्थों के चार धाम मे से एक धाम चित्रगुप्त आदि मंदिर पटना का है I सोशल मीडिया में आई तस्वीरो के मुताबिक़ मंदिर के गर्भग्रह के पास चिडियो ने बीट की है और जो विग्रह के ऊपर और उसके आस पास ढेर के रूप मे एकत्र हो गई हैसोशल मीडिया में आये ताजा फोटो देखने से सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि मंदिर मे सफाई व्यवस्था सुचारू रूप नहीं है और ना ही वहां पूजा हो रही है I लोगो ने सवाल उठाये है कि जितनी बीट है वो कोई एक दो दिनो मे तो नहीं हुई होगी, इसका मतलब है की वहां महीनो से कुछ नहीं हुआ हैकायस्थ खबर ने इस संदर्भ मे मंदिर के विभिन्न पदाधिकारीयो एवं पूर्व पदाधिकारीयो से बात की तो उनमे से ज्यादातर को ये पता ही नहीं है और सभी मंदिर की भव्यता की बात करने लगते है फिर भी कुछ पदाधिकारीयो को फोटो भेजा और फोन पर वार्ता करके इस विषय मे जानना चाहा तो उन्होंने क्या कहा प्रस्तुत है
मुख्य सचिव सुदामा प्रसाद से जब गर्भ गृह मे चिडियो की बीट के विषय मे और साफ सफाई के विषय मे जानना चाहा तो पहले उन्होने मंदिर की भव्यता की बात शुरू की जब उनसे साफ सफाई के विषय मे जानना चाहा तो और विग्रह के पास फैली गंदगी का जिक्र किया तो उन्होने उसके विषय मे कोई जानकारी नहीं है ये बताया|
कोषाध्यक्ष चंद्रमोहन सक्सेना से जब जानना चाहा कि गर्भ गृह मे जो गंदगी है इस पर क्या कहना है तो उन्होने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि उनको कोई जानकारी नहीं है और इस विषय मे सुदामा प्रसाद मुख्य सचिव उसके लिए जिम्मेदार है और ये कहकर फोन काट दिया |
इसी विषय पर जब संगत पंगत के बिहार प्रांत के सयोजक सुजीत वर्मा से मंदिर के गर्भ गृह मे फैली गंदगी के विषय मे जानना चाहा तो उन्होने बताया मेरी जानकारी मे नही है और उनकी जानकारी के लिए उनको वो फोटो भेजे है आपको बताना चाहेगे सुजीत वर्मा की पोस्ट लगातार आदि मंदिर के निर्माण कार्य को लेकर आती रहती है लेकिन सवालों से वो भागते दिखे |
इस विषय पर जब जब सचिव मनीष श्रीवास्तव से जानना चाहा तो उन्होने कहा ये मेरे संज्ञान मे नही है अभी फोटो देखी कल प्रयास करूंगा कि इसकी सफाई हो सके बाहर से आदमी बुलाकर करानी पड़े I
इसी विषय पर पूर्व मुख्य सचिव कमल नयन श्रीवास्तव से बात हुई तो उन्होने बताया कि वो अब मंदिर मे नही जाते है उनको इस विषय मे कोई जानकारी नहीं है क्योकि मंदिर मे अधिकतर ताला लगा रहता है कब पूजा आरती होती है उसकी कोई टाइमिंग नहीं है |
मंदिर के प्रशासनिक सचिव सुशील सिन्हा जी का नम्बर कई बार मिलाकर वस्तुस्थिति जानने का प्रयास किया गया किन्तु फोन नोट रीचेबल आता रहा |
.इतने लोगो से बात करने के बाद एक बात तो एकदम स्पस्ट हो गई कि मंदिर समिति के ज्यादातर पदाधिकारी मंदिर को लेकर उदासीन है शायद महीनो हो गए हो उनको मंदिर गए हुए
ऐसे में मंदिर को लेकर कायस्थ खबर के कुछ सवाल
क्या मंदिर समिति के प्रशासन की नजर आज तक उस पर नहीं गई ?
क्या गर्भगृह में नियमित पूजन आदि नहीं होता है जो किसी की नजर नहीं पड़ सकी?
क्या मंदिर के पुजारी का ध्यान इस ओर क्यो नही गया, या पुजारी को इस सब से मतलब ही नहीं है ?
आखिर मंदिर प्रशासन के प्रशासनिक सचिव सुशील सिन्हा और कार्यकारिणी के अन्य सदस्यों और पदाधिकारीयो का ध्यान उस ओर क्यो नही गया I इतनी गंदगी कैसे एकत्र हो गई? आखिर इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा.?
क्या पदाधिकारी बनने के बाद उनके कर्तव्य की इति हो गई ?
सोशल मीडिया पर दिन रात सवाल उठाने वाले कमलनयन श्रीवास्तव मंदिर क्यूँ नहीं जाते, क्या पदाधिकारी नहीं होने से मंदिर जाना भी बंद होता है ?
पटना कायस्थ समाज भी आखिर ये सोचे की वो इस मंदिर में नियमित क्यूँ नही जाता ?
ऐसे ही बहुत से प्रश्न है जिनके जवाब मंदिर समिति और वहां के स्थानीय समाज से अपेक्षित है |और इसके लिए दोषी व्यक्तियो और पदाधिकारीयो पर अपने कार्य को सुचारू रूप से ना कर पाने के एवज मे उनको पद मुक्त कर देना चाहिए|
अंत मे सुजीत वर्मा जी इस कलम दवात पूजन तक जो मंदिर के रंग रोगन और सफाई के जो दावे बीते दिनों कर रहे थे , इस प्रकरण से उस पुरे दावे पर सवालिया निशाँन लगते है, जिसका उत्तर मंदिर समिति और स्थानीय लोगो को आपसी लड़ाई में लगने की जगह एक साथ आकर देने की ज़रूरत है ताकि कायस्थों के चतुर्थ धाम की महिमा बरकरार रह सके
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