- कार्यकर्ता हूं ताउम्र कार्यकर्ता ही बना रहना चाहता हूं- आर.के.सिन्हा
- कोई किसी का समर्थक नहीं होता, बल्कि विचारधारा के समर्थक होते हैं
- मुंबई में राज ठाकरे की हिम्मत नहीं हुई तो बिहार में कौन हाथ लगा देगा
- 14 मई को सासाराम में प्रधानमंत्री के साथ आर.के.सिन्हा मंच करेंगे साझा
- जहां हूं लोग स्वतः जुट जाते हैं, बाकी लोगों को भीड़ बुलाना पड़ता हैः आर.के.सिन्हा
- नमो को एकबार फिर से बनाना है प्रधानमंत्रीः आर.के.सिन्हा
कार्यकर्ता हूं ताउम्र कार्यकर्ता ही बना रहना चाहता हूं- आर.के.सिन्हा
कार्यकर्ता हूं ताउम्र कार्यकर्ता ही बना रहना चाहता हूं, यही वजह है कि कार्यकर्ता अपने करीब पाते हैं और मुझे चाहते हैं और उनका मुझसे लगाव होता है। पार्टी के लिए एक समर्पित कार्यकर्ता के रुप में काम करने में मुझे काफी आनंद आता है। ये वाक्या हैं राज्यसभा सांसद आर.के.सिन्हा के। पटना साहिब मसले पर हुए सवालों के साथ शुरु हुई उनसे बातचीत में उन्होंने कहा कि कोई किसी का समर्थक नहीं होता, बल्कि विचारधारा के समर्थक होते हैं।
किसकी हिम्मत जो मेरे सहयोगियों को हाथ लगा दे
पटना में किसी की हिम्मत नहीं जो आर.के.सिन्हा के समर्थकों और सहयोगियों को हाथ लगा दे और किसी समर्थक को पीट दे। अरे, आप पीटने की बात करते हैं ये वो आर.के.सिन्हा है जिसने मुंबई में जाकर राज ठाकरे को कहा था कि आप में अगर हिम्मत हो पीटकर दिखा दें, जब वहां राज ठाकरे की हिम्मत नहीं हुई तो पटना में कैसे कोई पीट देगा, यह तो मेरा गृह राज्य है।14 मई को सासाराम की सभा में रहेंगे आर.के.सिन्हा
14 मई को सासाराम में छेदी पासवान के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ राज्यसभा सांसद आर.के.सिन्हा स्टेज साझा करेंगे। नागेंद्र जी के बुलावे पर श्री सिन्हा पीएम के साथ कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए सासाराम आ रहे हैं। इनसे पूछने पर कहते हैं जो भी बुलाता है मैं उनके लिए कोशिश करता हूं कि जरुर जा पाऊं।रविशंकर प्रसाद ने बुलाया या नहीं !
11 अप्रैल को 11.30 बजे रविशंकर प्रसाद का एक मैसेज वेल विसेज के लिए प्राप्त हुआ था। उसके बाद से ना ही रविशंकर प्रसाद ने पूछा ना ही नेता विधायक दल, उपमुख्यमंत्री, प्रदेश उपाध्यक्ष तक ने पूछना शायद मुनासिब नहीं समझा। आर.के.सिन्हा का इस विषय पर आगे कहना है कि मुझे बिहार से सिर्फ दो नेताओं ने पूर्व में आमंत्रित किया था जिनमें गिरिराज सिंह और गोपाल ठाकुर हैं। मगर मेरा पहले से कार्यक्रम तय रहने की वजह से इनलोगों को मैं सिर्फ आशीर्वाद दे पाया सभा में नहीं जा पाया। जबिक सासाराम से छेदी पासवान के लिए जा रहा हूं। दरअसल देश के कई हिस्सा में लगातार प्रचार-प्रसार का सिलसिला चलता आ रहा है। कोशिश कर रहा हूं कि ज्यादा से ज्यादा सभी को संबोधित कर सकूं।जहां हूं लोग स्वतः जुट जाते हैं
इस मसले पर पूछे गए सवाल कि आखिर आपके दल में कौन आपसे जलता है। कोई तो होगा पार्टी में जो आप से खार खाए होंगे, कोई तो वजह होगी न। इस पर श्री सिन्हा ने कहा कि मैं मस्त हूं, जहां हूं लोग स्वतः जुट जाते हैं, बाकी लोगों को भीड़ बुलाना पड़ता है। मुझे क्या दिक्कत होगी।1966 से इस परिवार से जुड़ा हुआ हूं
राजनीतिक बातें करते हुए राज्यसभा सांसद आर.के.सिन्हा ने कहा कि वर्ष 1966 में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के द्वारा हम जनसंघ में आए थे और जब भारतीय जनता पार्टी की नींव पड़ी तो मुंबई में उस दस्तावेज पर मुझे भी हस्ताक्षर करने का सौभाग्य प्राप्त हुए था। यानि स्थापनाकाल से इस संगठन से जुड़ा हुआ हूं एक कार्यकर्ता की तरह जो आज तक अपने कर्तव्य का निर्वहन करने में कोई कसर नहीं छोड़ता।नमो को बनाना चाहते हैं पीएम
आर.के.सिन्हा का पटना साहिब में उनकी छवि के कारण उनके समर्थकों की संख्या कम नहीं है। लेकिन आर.के.सिन्हा भाजपा के साथ हैं नरेंद्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं यही उनकी खासियत है। साथ ही वोट देने की बात पर कहते हैं मैं पार्टी का आदमी हूं इसलिए किसी भी कीमत पर रविशंकर प्रसाद को ही अपना वोट दूंगा।आर.के.सिन्हा के लिए सर कार्यवाह आए थे पटना
आरएसएस के सर कार्यवाह भैयाजी जोशी ने भाजपा के राज्यसभा सदस्य आर.के.सिन्हा से पटना में आकर कुछ दिन पहले मुलाकात की थी। इस मुलाकात को महत्वपूर्ण पटना साहिब सीट पर होने जा रहे चुनाव से पहले पार्टी के नेताओं के बीच मतभेदों को दूर करने के प्रयासों के तौर पर देखा जा रहा है। हलांकि चर्चा ये भी थी कि आर.के. सिन्हा स्वयं या अपने बेटे ऋतुराज सिन्हा के लिए पटना साहिब से पार्टी का टिकट चाहते थे। यह सीट केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को दे दी गयी, जिसके चलते बताया जाता है कि आर.के.सिन्हा भाजपा नेतृत्व से नाराज चल रहे हैं। मगर वहीं दूसरी तरफ पार्टी के प्रचार-प्रसार और सभाओं में जाने से परहेज नहीं करते हैं। हां ये बात जरुर है कि बिहार को छोड़कर अन्य प्रांतों में सभाओं को संबोधित लगातार कर रहे हैं। इसी कड़ी में 14 मई को पीएम के साथ सासाराम में मंच को साझा करेंगे। पटना साहिब संसदीय क्षेत्र में सातवें और अंतिम चरण में 19 मई को मतदान होना है।भाजपा के कुछ नेताओं को ठंडक मिल रही होगी !
पटना साहिब के भाजपा उम्मीदवार बिहार भाजपा के माने जाने वाले सर्वेसर्वा सुशील कुमार मोदी को पटना साहिब के सभी लोगों को एक जुट करने के लिए एड़ी चोटी एक किए हुए हैं। मतलब की चेहरे पर पसीना दोनों हाथ जोड़े हुए और जूतों पर धूल जमे हुए हैं। मुकाबला कठिन है क्यों कि जो मतदाता पिछली बार शत्रुघ्न सिन्हा को विजयी बनाए थे इस बार उन्हीं को उन्हीं के विरोध में मतदान करके हराना है। इसलिए अपने मतदाताओं को एकजुट करना सबसे ज्यादा कठिन पटना साहिब के लिए हो रहा है। पटना साहिब के दूसरे संभावित उम्मीदवार राज्यसभा सांसद आर.के.सिन्हा को भाजपा के लोग ही पर्दे के पीछे धकेले हुए हैं। बेशक उन्हें भ्रम में नहीं रहना चाहिए कि सारे कायस्थ की जागिरियत यहां के उम्मीदवार और बिहार के भाजपा के सर्वेसर्वा के माने जाने वाले के पॉकेट में है। सभ्य, शालिन, मृदुभाषी और आध्यात्मिक प्रवृति की आर के सिन्हा भाजपा की जीत की कामना भी कर रहे हैं लेकिन भाजपावाले उन्हें साथ लेकर चलने की फूर्सत ही नहीं है। यही स्थिति कभी डॉ.सी.पी.ठाकुर के साथ सुशील कुमार मोदी की टीम ने किया था। आर.के.सिन्हा को दरकिनार करना भाजपा के कुछ नेताओं के स्वाभिमान को ठंडक तो पहुंचा रहा होगा लेकिन दिल की दुआओं और बददुआओं का फर्क भी इंसान को समझना जरुर चाहिए।प्रस्तुति : मुरली मनोहर श्रीवास्तव