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लखनऊ में पूनम सिन्हा के सोशल मीडिया के प्रचार को स्वत उर्जा दे रहे सच श्रीवास्तव की माने तो चार से पांच लाख कायस्थ, इतने ही मुस्लिम मतदाता और दो से तीन लाख दलित/पिछड़ा मतदाता वाले लखनऊ में कायस्थ नेता शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा को उतारकर सपा बसपा गठबंधन ने राजनाथ सिंह के नीचे से जमीन ही खिसका दी है और पूनम सिन्हा को अपशब्द कहने वाले कांग्रेस उम्मीदवार को तो चर्चा लायक भी नहीं छोड़ा है
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कायस्थों की इस एकता से बौखलाए राज नाथ सिंह के समर्थक पूनम पर कटाक्ष करते हुए कहते है गठबंधन की लखनऊ प्रत्याशी सिर्फ कायस्थों और सिंधियों के यंहा ही प्रचार कर रहीं,तो क्या ऐसे भी चुनाव जीता जा सकता है ?? ऐसे में विरोधियो ने इस चुनाव को असल में लखनऊ के कायस्थ अस्मिता का सवाल बना दिया है जिसके चलते कायस्थों को ने भी कमर कस ली है चाहे वो बीजेपी के ही लोग क्यूँ ना हो पर इस बार वोट बीजेपी की जगह पूनम सिन्हा को देकर अपनी एकता का परिचय देंगे I
लखनऊ के ही एक कायस्थ अश्वनी कहते है की पूनम हारेगी या जीतेंगी ये महत्वपूर्ण नहीं है महत्वपूर्ण है राजनैतिक दलों को कायस्थों की ताकत दिखाना ये बताना की कायस्थ बाऊ साहब के मुंशी नहीं खुद भी बाऊ साहब बन सकते है I अगर पूनम सिन्हा के सहारे कायस्थ अपनी एकता दिखाने में कामयाब रहे तो कायस्थों का राजनीती में एक नया सूरज उदय होगा
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राजनैतिक विश्लेषक और कायस्थ खबर के समूह संपादक आशु भटनागर कहते है की पूनम सिन्हा ने यूपी के कायस्थों को एक तो कर दिया है पहली बार किसी गैर भाजपा कायस्थ प्रत्याशी के लिए इतना समर्थन और उर्जा दिखाई दे रही है और अगर ये उर्जा वोटो के जरिये जीत के परिणाम में बदली तो कायस्थ समाज के युवा नेताओं की एक नयी पीड़ी का भी उदय होगा
ऐसे में आज शाम से लखनऊ में आचार संहिता लग जाएगी और चुनाव प्रचार थम जाएगा जिसके बाद डोर तो डोर संपर्क अभियान ही होगा I और ६ मई को वोटिंग होगी जिसमे कायस्थ समाज कितना सफल हो पायेंगा ये २३ मई को ही पता चलेगा