कायस्थों को तथाकथित ओबीसी कोटा बहुत ही विचित्र स्तिथि ले के आया है। जहाँ आरक्षण के कारण कायस्थ समाज को सबसे ज्यादा भुगतना पड़ा और आज इसी मजबूरी में कुछ लोगों को लग रहा है कि आरक्षण रातों रात हमारे समाज का काया पलट कर देगा। वस्तुस्थिति ये नहीं है।
फिलहाल प्रारम्भ करते हैं यथास्थिति से।
- इसमें कोई संशय नहीं है कि कायस्थ समाज कि स्तिथि उतनी बुरी नहीं है जितनी हम समझ रहे हैं। हर विशिष्ट पद पर चाहे वो सरकारी हो या प्राइवेट हमारे बंधु ही विराजमान हैं। ऐसा संभव इसीलिए है कि हमारा जड़ अत्यंत मजबूत है। शिक्षा की दृष्टि से हर प्रकार से मजबूत रहे हैं। कुछ बंधु आर्थिक कारणों से पिछड़ रहे हैं। ये स्वीकार करता हूँ। ये भी स्वीकार है आपकी बात कि हम कायस्थ एक दूसरे की सहायता में पीछे हैं लेकिन इसके लिए अपने समाज में उत्थान लाना होगा न कि ओबीसी के कॉलम में जा के सुशोभित हो जाएं। हमें आरक्षण के लाभ के लिए किसी कॉलम में पड़ने की अपेक्षा कलम से परिवर्तन लाएंगे। ऐसा पहले भी योरोप में हुआ है। कई सामाजिक बदलाव हुए हैं जो कालजेयी रहे। हाँ, बदलाव लाने के लिए खड़ा होना होगा। हम कायस्थों में कई दिक्कते हैं लेकिन उसके लिए रोते रहना छोड़ना होगा। एक बार सब मिल के प्रयास तो कीजिये? सरल मार्ग लेने की आदत छोड़ना होगा। हम बिना प्रयास किये हारने की आदत बदलना होगा। हमें हर परिस्थिति में ढलने की आदत को बदलने होगा।
- दूजी बात। ओबीसी आरक्षण में आपका सामना उन लोगों से होगा जो धन से मजबूत हैं। उन्होंने अपने बच्चों की शिक्षा पर भरपूर निवेश किया है। हमारे बच्चे टिक पाएंगे? 40 जातियों के बच्चे से सामना होगा कुछ सरकारी पदों के लिए और इधर 3-4 जातियों के बच्चों से। हिसाब की दृष्टि से भी ये एक घाटे का सौदा है।
- आपने कभी देखा है कि किसी कायस्थ ने अपने नाम के आगे किसी ओबीसी के surname की चोरी की है? और अब इसके उलट प्रश्न। कभी देखा है किसी ओबीसी को हमारे surname के साथ देखा है? अवश्य देखा होगा। सिंहा, प्रसाद, वर्मा और न जाने कितने। क्या कारण है? सम्मान का अनुभव। इन सरनेम के साथ ओबीसी को लगता है कि वो सम्मान पा गए हैं। और हम ही इस सम्मान को आरक्षण के लालच में त्याग दें? कठिनाई है लेकिन क्या हम घुटने टेक दें?
- आज आरक्षण पा लेंगे। लेकिन कल? हमारे बच्चे? क्या हम अपनी बेटियों की शादी कल अन्य ओबीसी में करने देंगे? 40 ओबीसी आपके समकक्ष खड़े होंगे और हक से कहेंगे हमें। आप भी तो ओबीसी हैं? क्या दिक्कत है? फिर क्या होगा?
सदियों से हमने अपना अस्तित्व बचाया हुआ है। कृपया करके इसे बचाये रखें।
इसके उलट हम अपने समाज को उन्नत करने का प्रयास करना होगा। कायस्थ समाज को एक जबरदस्त सामाजिक आंदोलन की आवश्यकता है। उसके लिए खड़े हों हम सब एक साथ न कि आरक्षण के लाभ के लिए वो भी अपने स्वाभिमान की कीमत पर।
हर प्रकार से घाटे का सौदा है भाई।