आज जो लोग आरक्षण का समर्थन कर रहे है, उनसे मेरे कुछ सवाल है? जब आरक्षण के नाम पर पी सी यस और आई ए एस की कट ऑफ की दुहाई देते है।दूसरी तरफ कायस्थ गरीब है लाचार है कमजोर है बताते नही थकते तो भैया ये कौन सा पैमाना है आपका एक तरफ तो सिविल सर्विस की बात करते हो डॉक्टर और इंजीनिअर की बात करते हो दूसरी तरफअपनी कौम को कमजोर बताते नही थकते सिर्फ आरक्षण के मोह में ओबीसी में सम्मलित होने तक को तैयार हो कुछ जमीर वमीर जिंदा है आप लोगो का या वो भी मार दिया लालच चलते।
ेकिस आधार पर आपको आरक्षण मिले जो व्यक्ति अपने बच्चे को डॉक्टर बनाने का माद्दा रखता है इंजीनिअर बनाने की सोच रखता है, सिविल सर्विसेस की तैयारी करा सकता है क्या वो आरक्षण के लायक है।मतलब यू समझा जाये कि मुफ्त में कुछ भी मिले लपक लोगो ऐसे लोग शायद मुफ्त का राशन भी नही छोड़ते होंगे।किसी गरीब का हक मारने में उन्हें बिल्कुल हिचकिचाहट नही होती होगी।अरे समाज के अगर इतने ही बड़े खैर ख्वाह हो आर्थिक आधार पर क्यो नही आरक्षण मागते हो अगर वाकई में दबे कुचले लोगो के प्रति सहानिभूति है।या सिर्फ अपना निजी फायदा देखने के लिए समाज मे बाप दादाओ की कमाई इज्जत को ओबीसी में शामिल होकर मिट्टी में मिलाने पर आमादा हो।अगर जमीर जिंदा है तो आरक्षण का समर्थन बंद करो क्योकि आरक्षण समाज के लिए बदनुमा दाग है।इससे समाज की प्रतिभाओं का हनन होता है।ै और हमारी अगली पीढ़ी को क्यो बैसाखी का सहारा देना चाहते हो अरे उनको कंपटीशन के लिए प्रोत्साहित करो उनकी पर्सनल मदद करो एक बात याद रखियेगा जो तप कर आते है वही खरा सोना होते है।ना कि पोलिश वाला जेवर वक़्त की तपिश में उसकी कलई खुल जाती है।इसलिए युवा पीढ़ी को खरा सोना बनने के लिए प्रोत्साहित कीजिये न कि मुलम्मा चढ़ा हुआ जेवरात बनाइये।जाग जाइये और अपने समाज पूर्वजो की मान मर्यादा से खिलवाड़ मत कीजिये।
जय श्री चित्रगुप्त
अतुल श्रीवास्तव
लेखक के विचारो से कायस्थ खबर का सहमत होना आवश्यक नही है