?पुराणो,धार्मिक पुस्तको मे प्रणियो के कर्म का फल देने वाले देवता को धर्मराज कहा जाता है.उज्जैन के मूल चि.गु मन्दिर का नाम भी धर्मराज मन्दिर तथा अयोध्या के प्रचीन मन्दिर का नाम धर्महरि मन्दिर है.मन्त्र भी "यमाय धर्मराजाय श्री चित्रगुप्ताय वै नम:" है जो स्वत: स्पष्ट हैवास्तव मे चित्रगुप्तजी का कभी जन्म ही नही हुआ.वे तो बृह्माजी की काया से प्रगट हुये थे अत: अवतरण दिवस( प्रगट उत्सव)होता है जयन्ति नही.काँची स्थित चि.गु.मन्दिर मे इसे चित्र पूर्णिमा के नाम से,राजस्थान व् अन्य प्रदेश मे वैशाख शुक्ल सप्तमी (गंगासप्तमी) को एवँ शेष भारत मे यम द्वितिया को अपनी अपनी समझ से मनाते है.
?राष्ट्रीय कायस्थ महापरिषद जयपुर एवँ राजस्थान कायस्थ महासभा ने विस्तुत शोध के उपरान्त यह निष्कर्ष निकाला है कि प्राचीन धर्मशास्त्रो मे वर्णित धर्मराज ही हमारे आराध्य देव चित्रगुप्त है और उनका अवतरण दिवस(प्रकट उत्सव) चैत्रशुक्लदशमी ही सही तिथि है.अन्य अपने अलगमत पर चल सकते है-अतःसभी 26 मार्च 2018 चेत्रशुक्लपक्ष दशमी को चित्रगुप्त प्रकट उत्सव धूमधाम से मनाये ? कुमारसँभव अध्यक्ष राष्ट्रीय कायस्थ महापरिषद जयपुर... लेख में दिए विचार लेखक के अपने हैं , कायस्थ खबर का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है , आपके अपने विचार नीचे कमेन्ट बाक्स में दे सकते हैभारतीय कालनिर्णय ज्योतिष परपँरा मे भी धर्मराज चित्रगुप्त का अवतार चैत्र शुक्ल दशमी को माना जाता है जो सभी पचाँगो मे धर्मराज दशमी के नाम से जानी जाती है.इस वर्ष यह 26 मार्च 2018को पड़ रही है.होली दीवाली दोज को कलम दवात के अधिष्ठाता के रूप मे चित्रगुप्तजी का पूजन होता है !