धन्यवाद धीरेन्द्र जी,
कमला प्रसाद सोसायटी पर आपके भेजे हुए सारे मैटेरियल तो बहुत पहले प्राप्त हो गये थे परन्तु समय ना मिल पाने के कारण पढ नही पा रहा था ।
मैने आपसे पहले ही कह चुका हूँ जातिवादी राजनिति मे मुझे कोई रूचि नही है, परन्तु कोई भी व्यक्ति अगर समाज के लिये कोई अच्छी पहल करने की कोशिश करता है तो लोगो को कम से कम नैतिक समर्थन करना चाहिये, मगर दुर्भाग्य से गुटो मे बटे हुए कायस्थ ऐसा नही करते है ।
कई महीनो से सोशल मीडिया पर कमला प्रसाद सोसायटी को लेकर आपसे सवाल पूछे जाते रहे है । चूँकि सवालो के जवाबो मे बहुत स्पष्टता नही होती थी इसलिये मैने आपसे वैध दस्तावेजो की माँग किया था ।
कमला प्रसाद सोसायटी के मेमोरेन्डम मे लिखी गयी बातो मे ऐसा तो कुछ भी नही मिला जो सोशल मीडिया पर उछाला जा रहा है ।
विरोध का आधार अगर सोसायटी के नाम पर है तब तो मेरे चिन्तन का आधार ही खत्म हो जाता है ।
विरोध का आधार अगर सोसायटी के प्रबन्ध तंत्र पर था तो बदलता रहता है प्रबंध तंत्र जीवित संस्थाओ का ।
के०पी० ट्रस्ट के बडे बडे सुरमाओ ने कभी अपने लग्गु भग्गुओ से फुर्सत मिली ही नही जो के०पी० ट्रस्ट के उद्देश्यो को समझ पाते और उसको आगे बढा पाते । ट्रस्ट की आमदनी बढाने के नाम पर ट्रस्ट की संपत्तियो का दोहन किया ।
20 हजार के लगभग ट्रस्टीयो वाले ट्रस्ट मे 500-700 वोट भी ना पाने वाले इलाहाबाद के लाखो कायस्थो के रहनुमा होने का दावा करने वाले खुद तो कोई प्रोजेक्ट प्रस्तुत कर नही पाये और कोई आया भी तो उसका विरोध किया ।
100 प्रतिशत कायस्थो की जाब गारंटी वाले इस प्रोजेक्ट को रूकवाने वालो से सवाल तो पूछूगा ही कि क्या सोचते है वह कायस्थो की बेहतरी के लिये
धीरेन्द्र जी,
पहली मुलाकात हम लोगो की इसी फेसबुक पर हुई वह भी नोक-झोक के साथ, कई बडे मुद्दो पर हम लोगो के बीच घनघोर मतभेद आज भी कायम है और शायद आगे भी कायम रहे ।
मगर आपके इस प्रोजेक्ट पर मै आपके साथ हूँ ।
जिन मित्रो या आलोचको के सवाल हो बेशक पूछ सकते है चूकि अब सारे दस्तावेज मेरे पास है तो हर शंकाओ को जाँच कर समाधान मै ही कर दूगा।
अभय निरखि
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