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डा अरविन्द की नसीहत पर संजीव सिन्हा का पलटवार 

मा. डा. अरविन्द जी,आप लखनऊ की किस बैठक की बात कर रहे है? मार्च 2015 धीरेंद्र जी जब लखनऊ आकर मिले तो उस दिन पंकज भैया सहित कुछ लोगों से अलग अलग मुलाकात हुयी थी, कोई बैठक नही हुयी थी। तो फिर खाता खोलने की बात कहा से आ गयी। रहा सवाल कि के.पी. ट्रस्ट के रहते नया ट्रस्ट क्यों, तो फिर ये भी सवाल उठता है कि अभाकाम के इतने गुट क्यों? क्या कारण रहा अभाकाम की गुटबाजी का सर? इसके अलावा बहुतेरे संगठन क्यों? मिर्जापुर की बैठक में तो राजनैतिक मुद्दे पर काम न करने का निर्णय हुआ था फिर राजनीति में उतरने का निर्णय क्यों सर? फैजाबाद में मंच माला लोकल कायस्थों के लिए था, न कि कायस्थ वृंद के लिए। परंतु धीरेंद्र जी ने आप सहित सभी को मंच पर बैठाकर माला पहनवाया। इसमें मै कहा था। बृजेश जी की नाराजगी इसी बात पर थी कि उनसे माइक और मंच संचालन धीरेद्र जी ने छीना। दूसरे दिन मैने संचालन किया तो मंच किनारे करके किया था। मेरे द्वारा सर्वसहमति से तैयार एजेंडा को धीरेंद्र जी ने ध्वस्त करके अपनी मनमानी की और उसका परिणाम रात मे मुझे भुगतना पडा। मैने रात में बृजेश जी की 50 बातें सुनी, जिसके गवाह कमरे में बैठे सभी लोग थे। और उसी के बाद से मुझे बाहर करने के लिए षडयंत्र रचे जाने लगे। जिसका परिणाम आज दृष्टगोचर हो रहा है। मैने कभी भी कायस्थ वृंद के नियमों में परिवर्तन करने का रंचमात्र प्रयास नहीं किया, परंतु क्या नियमावली सिर्फ मेरे लिए है, बाकी लोग निरंकुश? क्या कायस्थ वृंद का गठन अभाकाम पारिया गुट को पदाधिकारी देने के छिपे हुये एजेंडे के तहत हुआ था? अभाकाम पारिया गुट के पदाधिकारी बनाये जाने, प्रयास करने के सबूत रखता हूँ------- 1. श्री पंकज भैया कायस्थ- इलाहाबाद बैठक मे राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी बनाने का प्रयास 2. श्रीमती माधवी देवा इलाहाबाद में महिला प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय पदाधिकारी बनी। 3. श्री त्रिपुरारी प्रसाद बक्सी को झारखण्ड अधिवक्ता प्रकोष्ठका प्रदेशाध्यक्ष बनाने का प्रयास। 4. मुझ संजीव सिन्हा को उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाने का प्रयास। 5. श्रीमती नीरज श्रीवास्तव को महिला प्रकोष्ठ लखनऊ का जिलाध्यक्ष बनाना। 6. श्री बृजेश श्रीवास्तव को जिलाध्यक्ष फैजाबाद बनाना। 7. श्रीमती डा. ज्योति श्रीवास्तव को महिला प्रकोष्ठ का राष्ट्रीय पदाधिकारी बनाना। 8. श्रीमती रंजना श्रीवास्तव को अधिवक्ता प्रकोष्ठ महिला जिलाध्यक्ष बनाना। 9. इसके अतिरिक्त कायस्थ वृंद के तमाम सदस्यों को अभाकाम पारिया गुट का सदस्य बनाया जाना। कायस्थ वृंद सामूहिक नेतृत्व का नारा सिर्फ अभाकाम पारिया गुट हेतु ही था क्या? जब पंकज भैया केवीपी के राष्ट्रीय महासचिव थे तो अप्रैल 2015 में उनके द्वारा मुझे प्रदेश महासचिव नियुक्ति का आदेश किया गया था तो धीरेंद्र जी ने क्यों मना किया मुझे केवीपी ज्वाइन करने से क्यो मना किया? जब श्रीमती नीरा सिन्हा वर्षा (महिला प्रदेश अध्यक्ष अभाकाम सारंग गुट) हमारे घर आयी तो पूरे कायस्थ वृंद मे खलबली मची, जैसे हमारे घर उनका आना गुनाह था। फोन पर फोन आने लगे कि क्यों आई थी? यही है सामूहिक नेतृत्व और सबको साथ लेकर चलने का एजेंडा? अभाकाम (ए.के.श्रीवास्तव गुट) से वर्ष 2014 में अलग हुये पारिया गुट से पहले आप भी उसी गुट मे थे सर, तो आपने क्यों छोडा? क्यों नहीं कायस्थ वृंद के मंच पर अभाकाम के सारे गुटों को नही बुलाया जाता? वह इसलिए सर क्योंकि कायस्थ वृंद का गठन ही इस छिपे हुए एजेंडे के तहत हुआ कि अभाकाम पारिया गुट को लीडर चाहिए था, जो उन्हे मिल नहीं रहे थे। और इसी योजना के तहत लोगों को भावनात्मक रूप से जोडकर बेवकूफ बनाया गया और बनाया जाता रहेगा। मेरी बातों से आपको ठेस पहुंची हो तो इसके लिए क्षमा चाहूंगा, पर विश्लेषण यही कहता है। संजीव सिन्हालेख में प्रस्तुत विचार संजीव सिन्हा के हैं और उनकी पत्नी रमण सिन्हा के नम्बर से शेयर किये गये है इस कड़ी में ज़रूर पढ़े :कायस्थवृन्द या कोई सामाजिक संगठन किसी की निज़ी जागीर नही हो सकती – डा अरविन्द श्रीवास्तवडा अरविन्द की नसीहत पर संजीव सिन्हा का पलटवार  संजीव सिन्हा द्वारा दिए ज़बाब पर डा अरविन्द का जबाब  

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