कायस्थ संगठनो में राजनीती वाहर कम घर में ज्यादा , इसीलिए राजनैतिक गलियारों में कायस्थों को कोई तरजीह नहीं देता है : संजय श्रीवास्तव नाटी
राजनीती वाहर कम घर में ज्यादा विगत कुछ दिनों से समाज में राजनीती करने का कुछ फैशन हो गया गया है! दुसरे को गलत और अपने को सही बता रहे है! चुनावी बेला की तरह आरोपो प्रत्यारोपो का दौर चल रहा है! कोई किसी को फर्जी बता रहा है तो कोई किसी को कह रहा है आपको जानकारी नहीं है जिसको है वो बोल नहीं रहा है! अजीब सिथिति है कुछ लोग गाँधी के तीन बंदरो की तरह अपनी अभिव्यक्ति प्रस्तुत कर रहे है कुछ सुना नहीं कुछ देखा नहीं कुछ बोला नहीं! और यही वजह है की राजनैतिक गलियारों में कायस्थों को कोई तरजीह नहीं देता है जो आज बड़े नेता है वो अपने दम पर है तो ऐसे परिवेश में वो भी समाज का साथ नहीं देते है और जो दे रहे है उनको कुछ मौका परस्त लोग पहले सोसल मीडिया पर भला बुरा कहते है अपने स्वार्थ के समय ऐसा जाहिर करते है की सबसे बड़े समाज सेवी समर्थक यही है!अपने काम के लिए कोई भी संगठन सारे नियमो को ताक में रखते हुए चल रहे है पर इनकी वास्तविकता नाम से कोसो दूर है! मदद की नाम पर डिंडोरा पीटने वाले से जब मदद के लिए बात की जाती है तो बगले झाँकने लगते है पर फोटो खिंचवाने स्टेज पर बैठने में चक्कर में अपने वादे भूल जाते है जिस तरह चुनाव के समय हमारे नेता गण करते है ! खुद गलती करे तो सीख दूसरा करे तो सजा की मांग वाह रे इंसान! आज के समय में कहना गलत नहीं होगा की इंसानियत तो रही नहीं है बदनीयत जरूर हावी हो रही है! क्या हम ऐसी सोच लेकर समाज का भला कर पाएंगे ओर अभी नहीं जगे तो शायद कभी नहीं जाग पाएंगे! यह मेरे निजी विचार है किसी को ठेस पहुचे तो छमा प्रार्थी हूँ!संजय श्रीवास्तव नाटी