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लेग पुलिंग! लेग पुलिंग!! लेग पुलिंग!!! चिल्लाओ नहीं महथा जी. जाकर आराम से सो जाओ – महथा ब्रज भूषण सिन्हा

कायस्थ संगठनों के साथ-साथ नेता और जनता के जबान पर लेग पुलिंग छा गया है. एक हमारे बड़े भाई, सॉरी बड़े भाई नहीं, एक राष्ट्रीय संगठन के बड़े पदाधिकारी और एक दुसरे संगठन, सॉरी, विचारधारा के सबसे बड़े राष्ट्रीय पदाधिकारी ने कहा– लेग पुल्लिंग से वे आगे नहीं बढ़ रहे हैं. मेरी समझ उलझ गई. भाई इतनी छोटी सी उम्र में इतने बड़े पदाधिकारी एवं इतना आगे चले गए तो अब और कितना आगे जाना था, जो लेग पुलिंग के शिकार हो रहे हैं?एक जूमला सबलोग प्रयोग कर रहें है लेग पुलिंग या टांग खिंचाई. आज मै इसी के खोज में निकला. कैसा टांग है, किनका टांग है जो खींचे जा रहे हैं और खींचने वाले कौन लोग हैं?एक बहन जी से पूछा उन्होंने बतायी- भाई टेढ़े-मेढ़े बात मेरी समझ में ही नहीं आती. लेग पुलिंग मतलब टांग खिंचाई. बस गुड नाईट कह घर के अंदर चली गयीं. फिर मैं मुडा एक सज्जन ने कहा मैंने भी सुना है भाई, लेग पुलिंग हो रही है. इससे अधिक मुझे नहीं मालूम. तीसरे दरवाजे पर एक श्रीवास्तव भाई खड़े मिले पुछा- भाई लेग पुलिंग हो रही है? हाँ भाई हाँ, बहन जी की बात सही है. इसी वजह से कायस्थ समाज गर्त में जा रहा है.ज़रूर पढ़े : मदद के फर्जी दावो की असलियत खुलने से बौखलाए अभाकाम पारिया गुट के लोग , मुकेश श्रीवास्तव ने खोया शब्दों पर नियंत्रणमतलब ऊँचाई चढ़ रहा समाज को पीछे खिंच कर निचे की ओर कोई ला रहा है. उस वक्त जो मेरी समझ में आया तो फिर मैं किसी बाहुबली के तलाश में जुट गया. जरुर कोई इतना बलिष्ठ होगा जो पुरे समाज को पीछे की ओर धकेल रहा है. मन ही मन भगवान् श्री चित्रगुप्त से प्रार्थना किया हे पितामह, मुझे उस सज्जन का पता बता दो ताकि मेरी खोज पूरी हो जाय.सोचा –यह तो उत्तर प्रदेश का केस है. वहीँ जाकर पता करते हैं तब तक टीवी पर खबर देखा कि आल्हा जीवित हैं और मैहर देवी की पूजा करने आते हैं. मैंने सुन रखा था कि आल्हा उदल अपने समय के अप्रतिम योद्धा थे. वीर बाहुबली. फिर क्या था जा धमके महोबा-
लेग पुलिंग के खोज में, अब महथा बीड़ा लियो उठाय गली गली अब घूम रह्यो है, लेग पुलर है कहाँ बताएं हर लोगन से पूछत-पूछत, गढ़ महोबा में पहुँचो जाय आल्हा-उदल दोनों बैईठे, खडग हाँथ में लिए चमकाय अरज लगाई महथा जी ने, लेग पुलर का दो पता बताय आल्हा-उदल चक्कर खा गए, अबतक पता सुना हम नाय माफ़ करो भाई महथा जी तुम, दूसरा कारज कहो समझाय हम तो लेग उखाड़न हैं, बोलो किसकी शामत आए
मैं तो भौचक रह गया. यहाँ यूपी वाले को भी नहीं पता. मेरी समझ में आया कि सच-मुच बहुत बड़ा तूफ़ान होगा, जो कहीं निशान ही नहीं छोड़ रहा. जरुर किसी भेटेरन आदमी के पास ही होगा. जो दिखता किसी को नहीं पर मौजूद है.ज़रूर पढ़े : सारंग को भी देखा है, एके को भी देखा है पारिया को भी देख रहे है,पारिया गुट कुछ शर्म हो तो पीड़ित परिवार को पैसा दिलवा दो : लखनऊ से संजय श्रीवास्तव की पुकार ख्याल आया हमारे एक बुजुर्ग भाई हैं, घुमा-घुमा कर किसी की इज्जत खींचते रहते हैं. चुकि खींचू मास्टर हैं इसलिए वे जरुर जानते होंगे. क्योंकि खींचू बिरादरी के लोग एक दुसरे का पता रखते हैं. पर यह क्या वे तो कोप भवन में बैठे हैं. दिमाग का रत्ती-रत्ती, पुर्जा-पुर्जा हिल गया है. और केवल प्रांतवाद –प्रांतवाद और उपजातिवाद-उपजातिवाद रट रहे हैं. पता चला उन्हें लोग ग्रुप में बुला-बुला कर निकाल दे रहे हैं. वे अपनी गन्दगी वहां निकाल लिया करते थे. अब गन्दगी ना निकाल पाने की वजह से यह हाल हो गया है. च....च...च.... बहुत बुरा हुआ. घुमते-घुमते लखनऊ पहुंचा. वहां तो और बुरा हाल था. केवल पत्थर ही पत्थर बिखरे पड़े थे. पूछने पर पता चला कुछ रत्न बनकर निकल गए और बाकी जो बच गए वही पत्थर हैं, पड़े हुए हैं. लेकिन मैं तो लेग पुलर खोज रहा हूँ.एक सज्जन ने मुस्कुराते हुए कहा –कैसा लेग पुलर? कौन लेग पुलर?भाई जो सुन रहे हैं उसका मतलब समझिये. सब पद- पद खेल रहे हैं. सब एक दुसरे को पटकने के फिराक में है तो अगला लेग पुलिंग चिल्ला रहा है क्योंकि समाज का काम तो करना नहीं है. बताईये कौन से कार्य में कौन रोड़ा अटकाया? कौन सामाजिक काम नहीं करने दे रहा है? जनता है ध्यान तो भटकाना पडेगा न. आज हर पांच कायस्थ में एक किसी न किसी संगठन का कोई न कोई पदाधिकारी है. सबकी यह भावना होती है कि हम इससे भी आगे और बड़ा पदाधिकारी बने. तो हो सकता है कि वहां पर उन्हें कड़ी प्रतियोगिता का सामना करना पड रहा हो तो लेग पुलिंग चिल्लाएगा की नहीं?और जब तक वह लेग पुलिंग चिल्लाता रहेगा कोई काम का हिसाब नहीं मांगेगा. अब बताओ भाई इतने-इतने आयोजन हुए. लाखों लाख खर्च हुए. किसी को सम्मान किसी को अपमान तो किसी को खान-पान और किसी को समाधान मिला की नहीं. लाखो खर्च किये. अपनी मर्जी से किये. कोई हिसाब माँगा क्या? किसी को हिसाब दिया क्या? आप ने एक कहावत सुनी की नहीं “नाच न जाने आँगन टेढ़ा”लेग पुलिंग! लेग पुलिंग!! लेग पुलिंग!!! चिल्लाओ नहीं महथा जी. जाकर आराम से सो जाओ. सच-मुच मै थक गया था, नींद भी आ रही थी. भाई साहब का उपदेश सुन थोडा शान्ति मिली और वहीँ निढाल सो गया. जय श्री चित्रगुप्त.-महथा ब्रज भूषण सिन्हा.

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