
कानाफूसी : दिल को देखो चेहरा ना देखो…. नॉएडा चित्रगुप्त सभा के वर्तमान अध्यक्ष के खिलाफ पूर्व अध्यक्ष की कारस्तानियो की शहर भर में चर्चा
कायस्थ खबर डेस्क I "दिल को देखो चेहरा ना देखो चेहरे ने बहुतो को लुटा " बस यही कुछ चल रहा है आजकल नॉएडा कायस्थ समाज में लोगो की जुबां पर I किस्सा है जनाब नॉएडा सभा के वर्तमान अध्यक्ष और पूर्व अध्यक्ष के बीच होती कोल्ड वार का I जिसमे कभी नॉएडा के पोस्टर बॉय रहे नॉएडा सभा के पूर्व अध्यक्ष अब वर्तमान अध्यक्ष की सफलता और कामो को साम , दाम दंड भेद किसी भी तरह कम साबित करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे है I जबकि स्वभाव से सरल वर्तमान अध्यक्ष उनको वरिष्ठ होने का लिहाज करते देखे जा रहे है I जिसके चलते उन्हें हर मंच पर यथा सभंव सम्मान देना(कहते हैं वो बिना मंच पर माइक या सम्मान की बात हुए बिना कार्यक्रम में आते ही नहीं है ) या फिर कभी उनके निर्देश पर पूर्व अध्यक्ष के विरोधी लोगो को अपने मंच पर ना बुलाने जैसी अनावश्यक मांगे तक मानना रहा है I मजेदार बात ये भी है की पूर्व अध्यक्ष की संस्था के कई कार्यक्रमों की फंडिंग भी यही वर्तमान अध्यक्ष करते रहे है लेकिन फिलहाल कहानी बदल गयी हैहुआ यूँ की एक निर्दलीय कायस्थ प्रत्याशी को मदद के मुद्दे पर मतभेद के चलते एक युवा कायस्थ ने बर्तमान अध्यक्ष पर कुछ आरोप लगाए जिनमे समाज के चंदे से अपना घर चलाने जैसी बातें कही गयी I जिसको श्री चित्रगुप्त सभा ट्रस्ट के वर्तमान अध्यक्ष ने उनको छोटा भाई समझ कर नजरंदाज कर दिया I हालांकि कई लोगो ने उस आरोप पर एतराज भी जताया और उसकी आलोचना भी की I लेकिन पूर्व अध्यक्ष ने जैसे ही इन बातों को देखा उन्होंने उस युवा को अपनी संस्था का ट्रस्टी बनाने का पत्र भेज दिया I जिस पर नॉएडा कायस्थ समाज में हंगामा मच गया , हालांकि उक्त युवा ने अभी तक वो पद को स्वीकार नहीं किया है I लेकिन कभी नॉएडा के पोस्टर बॉय रहे इस पूर्व अध्यक्ष (वर्तमान में संरक्षक) की ऐसी हरकत सभी को नागवार गुजरी Iकायस्थ खबर को कई लोगो ने फोन करके ऐसी बातों के लिए पूर्व अध्यक्ष की आलोचना की , सभी का एक ही बात कहना है की नॉएडा के ये पूर्व अध्यक्ष कई लोगो के साथ ऐसी ही हरकते कर चुके है , उन्हें कोई भी कायस्थ आगे आता हुआ पसंद नहीं आता है I सूत्रों की माने तो वर्तमान अध्यक्ष ने अपनी व्यथा में बस इतना ही कहा की सही जानकारी के अभाव में किसी का उन पर आरोप लगाना इतना गलत नहीं लगता मगर अगर कोई उन पर आरोप लगाए तो उसको हमारे वरिष्ठ का अपने यहाँ पद आफर कर देना एक गलत परम्परा है , इससे समाज में एकता की जगह कटुता ही बढेगी I वरिष्ठ होने के नाते पूर्व अध्यक्ष को अपनी मर्यादा का ध्यान रखना चाह्यी ताकि लोग उनका अनुसरण कर सके I कल को अगर बाकी सब भी यही करने लगे तो समाज का क्या होगा Iऐसे में अब जब चुनाव हो गए हैं तो नॉएडा में शह और मात के इस खेल की एक नयी बिसात बिछ गयी है I अब देखना सिर्फ ये होगा की क्या वर्तमान और पूर्व अध्यक्ष इसको लेकर आपस में कोई समझोता करते है या शीत युद्ध के इस खेल में अभी कई दौर और चलेंगे I