कायस्थों को माँ बहन की गालियाँ, गोली मार देने वाले कायस्थवाद की बात करते है, ऐसे में कायस्थ खबर बंद कर देने का मन करता है
आज मन दुखी है I क्योंकि गालियाँ और जान से मारने की धमकी किसी कायस्थ से इसलिए मिली है क्योंकि कायस्थों के ऐतिहासिक तथ्यों और भगवान् चित्रगुप्त के अवतरण से सम्बंधित जानकारी पर उनकी भ्रमित जानकारियों पर सवाल उठाये I जबाब में उन्होंने सवालों को बेतुका बताते हुए ग्रुप से हटा दिया Iइसके बाद हमने उनको पूछा की चंद्र्सेनिये कायस्थ प्रभु ( जो की कायस्थ नहीं होते ) के इतिहास को उत्तर भारतीय कायस्थ के साथ मिलाने की क्या ज़रूरत , क्या आप नकली या भुर्जी कायस्थ है I बस यही से कल तक बड़े भाई होने वाले घ्रणा के पात्र बन गये I राष्ट्रीय कायस्थ विचार मंच से जुड़े इस युवा का फोन आया और लिमिट क्रास करके की बात कह कर माँ बहन की गाल्याँ और गोली मारने की धमकी देने लगे I हमको गोली मारने की धमकी या गाली से ज्यदा आज ये बुरा लगा की हम ये सब किस्से सुन रहे है और किसके लिए सुन रहे हैएक पत्रकार होने के नाते कायस्थों के लिए आवाज़ उठाने पर हमको बहुत से लोगो ने गालियाँ दी , धमकियाँ भी दी लेकिन हम कायस्थों के लिए हमेशा खड़े रहे क्योंकि हमने सोचा की हम समाज के लिए लढ़ रहे है तो समाज तो हमारे साथ है लेकिन आज ये भ्रम टुटा की असल में हमारे अपने समाज में भी वैसे ही लोग हैं जो सिर्फ अपनी कहना सुनना चाहते है , कायस्थ जो अपनी बुद्धिजीवी होने के लिएय जाने जाते है आज अपन लोगो को इसलिए माँ बहन की गालियाँ दे रहे है जान से मारने की धमकी दे रहे है क्योंकि वो नहीं समझ रहे उनकी नासमझी में सामाजिक इतिहास से की जारही कार्यवाही के दूरगामी परिणाम गलत होंगेहम उन्हें बच्चे समझ कर समझा रहे थे वो हमें अपराधी बन कर धमका रहे थे I हमको आज पहली बार एहसास हो रहा है की कहीं हम समाज सुधार के नाम पर गलत जगह तो नहीं आ गये है I या फिर गलत लोगो ने संगठन का अरूप और कार्य ले लिया है Iमरना तो एक दिन सबको हैं लेकिन अपने ही लोगो से ये सब होना दुर्भाग्य की बात होती है I समाज के लोगो से आज यही सवाल है की क्या हमें वाकई समाज में एक्टिव रहने की ज़रूरत है या हम बेकार ही अपना समय , पैसा जाया कर रहे है I आज वाकई पुनर्विचार का दिन आ गया है की क्या वाकई कायस्थ खबर को जारी रखें की ज़रूरत है या इस समाज से विदा लिया जाएलेकिन फिर एक उम्मीद उन कायस्थों की तरफ से आती जो कायस्थ खबर से सालो से उम्मीद लगा लिए है की कोई तो है तो जो उनके हितो की आवाज़ उठाता रहेगा I और वही समर्थन हमें धमकियाँ देने वाले कायस्थों और गैर कायस्थों के आगे फिर से खड़ा करता है I घर में मतभेद होते है लेकिन अगर उनको सुलझाया जाए तो ही घर चलता है I हम सभी कायस्थों को साथ लाना चाहते है उनको भी जो किसी भी भावावेश या किसी के कहने पर रास्ता भटक गये है I सुबह का भुला शाम को घर आ जाए तो उसे भुला नहीं कहते हैआप अपने विचार नीचे कमेन्ट बाक्स में दे सकते है
ऐसे लोगों का नाम उजागर करिए ऐसे लोग सिर्फ बने हुए कायस्थ हैं जिन्हें बेनकाब करने की ज़रूरत है।
समस्या उससे बड़ी ये है की ऐसे लोगो को कोई संगठन अपन यहाँ पद कैसे दे देता है