अतुल श्रीवास्तव I भारतीय जनता पार्टी की कार्यकारिणी आज उत्तर प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की कार्यकारिणी घोषित की गई जिसमें एक भी कॉयस्थ को स्थान नही दिया गया।आखिर क्यों? आइये इस पर विचार करते है।
सर्वप्रथम तो बीजेपी ने हमेशा कायस्थों को दोयम दर्जे का समझा ये हमे जानना होगा सिद्धार्थ नाथ का नाम मुख्यमंत्री की दौड़ में सबसे आगे था किंतु अचानक योगी जी को मुख्यमंत्री बना दिया गया ओम माथुर जैसे कद्दावर नेता को जिन्होंने उत्तर प्रदेश के चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई उन्हें किनारे कर दिया गया।यही हाल पूरे देश मे रहा आर के सिन्हा जी जैसे पुराने जनसंघी को टिकट नही दिया और न दोबारा राज्य सभा भेजा आखिर क्यों।आज तक कितने कायस्थों को बीजेपी में स्थान मिला ये उंगलियों पर गिन सकते है।और मंत्री बनाना तो दूर की कौड़ी ही साबित हुआ है।
फिर भी कॉयस्थ आज बीजेपी के लिए अपने स्वजातीय बंधुओ से भिड़ने से नही कतराता है और सोशल मीडिया पर अपनी भाषाई मर्यादा तक खो देता है यदि कोई बीजेपी की कमियां गिनवा दे तो समझिए कॉपी पेस्ट की झड़ी लगा देता है।कभी कभी तो ऐसा व्यवहार करता है जैसे उनका पेड एम्प्लॉय हो।खैर मुद्दे पर आते है इस बात को लेकर सिवाय कुछ कायस्थों के किसी के भी विचार नही आये आखिर बीजेपी में कायस्थों का स्थान क्या है?
पार्टी कितना महत्व देती है।ये विभिन्न राज्यो के टिकट वितरण पदाधिकारियों का चयन आदि में अकसर देखने को मिल ही जाता है।फिर भी कॉयस्थ रास्ट्र के नाम पर हिन्दू के नाम पर और जाने क्या क्या के बिना पर आंख मूंद कर बीजेपी का सपोर्ट करता है।जबकि उसकी वैल्यू पार्टी में कुछ नही होती है कभी राजेन्द्र प्रसाद जी के साथ हुए अन्याय को बताता है कभी शास्त्री जी के साथ हुए कभी नेता जी के साथ हुए अन्याय को बताने लगता है।ये भूल जाता है उन्ही दलों में जिसमे वो थे उनको राष्ट्रपति प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष चुना था न कि बीजेपी ने ।
वो तो खैर बीता हुआ कल था आज जिस पार्टी का हमारा समाज आंख मूंद कर सपोर्ट करता है क्या वो कायस्थों को कोई महत्व देती है ये सोचना होगा या सिर्फ कायस्थ झोला उठाने वाला ही बनकर रहेगा।अगर इतिहास देखे तो जिन राज्यो में कॉयस्थ मुख्यमंत्री हुए वो सब गैर बीजेपी सरकारों ने दिए।
कायस्थों को यदि राजनीतिक हाशिये पर पहुचाया तो सिवाय बीजेपी के किसी ने भी नही पहुचाया उसके कई उदाहरण समाज मे है जिनका राजनीतिक करियर लगभग समाप्ति के दौर में है।फिर भी हम सब आंख मूंद कर पार्टी समर्थन में संलग्न है।आखिर क्यों?
अगर आज नही जागे तो फिर कभी नही जागोगे अपना अधिकार माँगना आना चाहिए कॉयस्थ रत्न डॉक्टर जय प्रकाश नारायण ने कहा था कि जिंदा कौमे इंतजार नही करती है।
तो हमारा समाज कैसे ये सोच रहा है कि बीजेपी उनको उनका अधिकार देगी आपको नए रास्ते तलाशने होंगे नई सम्भावनये ढूढनी ही होगी अन्यथा आपके राजनीतिक वर्चस्व को समाप्त होने में ज्यादा वक्त नही है जो दो चार है भी राजनीति में वो भी नही रहेंगे।
इसलिए जाग जाओ ।सिर्फ इतिहास ही बताते रह जाओगे की कभी हम भी राजनीतिक व्यवस्था के अंग थे।सबको मोह पाश से निकलकर अपना वजूद ढूढना ही होगा।शपथ लेनी होगी कि किसी भी राजनीतिक दल के लिए आपस मे टकराव नही करेगे बल्कि राजनीतिक दलों को अपनी एकता की ताकत दिखाकर रहेंगे।आज हम राजनीति में अपना वजूद ढूढ रहे है कल वो राजनीतिक दल हममे अपना वजूद ढूढे।आइये मिलकर इस बात का पुरजोर विरोध करे आखिर कार्यकारिणी में किसी कॉयस्थ को स्थान क्यो नही?सबसे कम टिकट हमारे समाज के लोगो को ही क्यों?आखिर हमारे समाज के नेताओ को दरकिनार क्यो किया गया?
लेखक सामाजिक चिन्तक है आप की राय
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