हमारे समस्त कायस्थ समाज के भाई बंधुओं को एकजुट होकर यह बात साफ-साफ समझने की आवश्यकता है के कायस्थों का OBC श्रेणी मैं आना कोई उचित समाधान नही है और जो लोग OBC श्रेणी मैं आने पर समर्थन कर रहे है मेरा उनसे भी अनुरोध है के कायस्थों वाला दिमाग लगाएं एवं तथ्यों को समझे।
समाधान अपनी श्रेणी बदलने से नही होगा अन्यथा समाधान तो स्वयं की श्रेणी न बदलते हुए स्वयं के अधिकार को लेने से होगा।
अगर मांग करना है तो स्वयं के उचित अधिकारों की मांग करो जैसे :-
- कायस्थों की श्रेणी बदलने की वजह EWS श्रेणी मैं अन्य श्रेणियों की तरह आर्थिक सहायता दी जाए सम्पूर्ण शिक्षा मैं स्कॉलरशिप एवं अन्य श्रेणियों की तरह सभी फायदे। अन्यथा
- जातिगत आरक्षण की व्यवस्था को ही सम्पूर्ण रूप से समाप्त किया जाए एवं समस्त आर्थिक रूप से कमज़ोर भारतीय नागरिकों को आरक्षण का लाभ दिया जाए। ताकि सभी समाजों मे कोई भेदभाव की भावना न हो एवं ज़रूरतमंद व्यक्ति को उसका अधिकार समान रूप से प्राप्त हो, क्योंकि आर्थिक रूप से कमज़ोर लोग तो हर श्रेणी मैं है ।
अब आती है बात कायस्थों को OBC मैं रखने की तो आपको lollypop दिखाकर OBC श्रेणी मैं डाला जाएगा एवं EWS श्रेणी से बहुत बड़ी प्रतिस्पर्धा (competition) को हटाया जाएगा । समझदार लोग मेरा इशारा समझ गए होंगे। और मेरा उन भाइयों से भी अनुरोध है जो यह बात नही समझ पा रहे कृपया "EWS और OBC की जनसंख्या की तुलना इनको मिलने वाले आरक्षण से करें तो स्वयं ही समझ जाएंगे।"
मैं फिर एक बार बोलता हूं के अपना अधिकार मांगिये सरकार से जो उचित हो परंतु यह नही चलेगा के सरकार जो चाहे हमे भीख मैं दे एवं किसी भी श्रेणी मैं रख दे, और हम चुपचाप इस बात को मान ले, हमे स्वयं का हक़ मांगना है ना कि जो भी अनुचित मिले उसे स्वीकार कर लें। सरकार कायस्थों पर कोई एहसान नही कर रही है और न किसी सरकार ने कभी किया है, अन्य श्रेणी के लोगों को तो उनकी जातियों के आधार पर एवं उनके अधिकार के नाम पर सब दिया गया बल्कि मैं तो यह कहूंगा के अधिकार से ज्यादा दिया सभी सरकारों ने। परंतु आर्थिक रूप से कमज़ोर कायस्थों को और अन्य सामान्य श्रेणी वालो को कभी कोई आर्थिक मदद नही मिली। अब जैसे तैसे EWS श्रेणी का लाभ कायस्थों को मिलता तो उससे भी वंचित करने के लिए हमे OBC मैं किया जा रहा है। और एकतरफा EWS श्रेणी से प्रतिस्पर्धा (competition) को हटाया जा रहा है। वाह भाई वाह!
बात थोड़ी कड़वी है पर मेरे अनुसार उचित है।
कायस्थ हमेशा से बुद्धिजीवी माने जाते है अथवा बुद्धिमत्ता भेड़चाल चलने मैं नही परंतु तथ्यों को समझते हुए सही निर्णय लेने मैं है।
अभिषेक कुमार श्रीवास्तव