प्रसिद्ध भारतीय राजनीतिज्ञ, वकील, कवि एवं पत्रकार, कायस्थ शिरोमणि चितरंजन दास की आज पुण्यतिथि है। वे समूचे भारत में देशबंधु के नाम से भी जाने जाते हैं। उन्होंने बंगाल में स्वराज पार्टी की स्थापना की। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी उनकी महती भूमिका थी। उन्होंने कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के पक्ष में मुकदमा लड़ा। इसी कारण समस्त भारतवर्ष में राष्ट्रीय वकील नाम से भी इनकी ख्याति फैल गई। आइये देशबंधु के जीवन यात्रा का परिचय पाते हैं।
कोलकाता में हुआ जन्म
देशबंधु चितरंजन दास का जन्म 5 नवंबर 1870 को कोलकाता में हुआ। उनका परिवार मूलतः ढाका के बिक्रमपुर का प्रसिद्ध कायस्थ परिवार था। उनके पिता का नाम भुवनमोहन दास था। वे कलकत्ता के जाने-माने वकीलों में से एक थे। चितरंजन दास ने 1890 में कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। कुछ दिनों बाद उन्होंने कानूनी पेशे का चुनाव किया। चितरंजन दास ने लंदन में द ऑनरेबल सोसाइटी ऑफ द इनर टेम्पल में कानून की पढ़ाई की। दो साल बाद वे भारत आ गए और कोलकाता उच्च न्यायालय में वकालत करने लगे।
राजनीतिक जीवन में प्रवेश
सी आर दास ने वर्ष 1917 में राजनीति में प्रवेश लिया। वह स्वदेशी अवधारणा में विश्वास रखते थे, इसलिए उन्होंने पश्चिमी देशों की प्रचारित विकास की धारणा को खारिज कर दिया। वर्ष 1920 में, देशबंधु ने खादी का समर्थन किया। उसी साल उन्होंने महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन में भाग लिया। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान वे जेल भी गए। कुछ दिनों बाद उन्होंने वकालत छोड़ दी और अपनी सारी संपत्ति मेडिकल कॉलेज और महिला अस्पतालों को दान कर दी। इसी के बाद उन्हें देशबंधु की उपाधि प्राप्त हुई। उल्लेखनीय है कि , असहयोग आंदोलन में जिन विद्यार्थियों ने स्कूल कॉलेज छोड़ दिए थे, उनके लिए इन्होंने ढाका में राष्ट्रीय विद्यालय की स्थापना की। देशबंधु चितरंजन दास ने स्वराज पार्टी की स्थापना भी की।पत्रकार भी थे दास
पत्रकार भी थे दास
चितरंजन दास की रुचि कविता और संगीत में थी। वे श्रेष्ठ पत्रकार भी थे। बंग साहित्य के आंदोलनों में इनका प्रमुख योगदान रहा। सागरसंगीत, किशोर किशोरी, इनके काव्यग्रंथ हैं। सागरसंगीत का इन्होंने तथा अरविंद घोष ने मिलकर अंग्रेजी में , सांग्ज ऑफ दि सी नाम से अनुवाद किया। नारायण नामक वैष्णव-साहित्य-प्रधान मासिक पत्रिका इन्होंने काफी समय तक चलाई। चितरंजन दास वर्ष 1906 में प्रारम्भ हुए वंदे मातरम नामक अंग्रेजी पत्र के, संस्थापक मंडल तथा संपादक मंडल दोनों के प्रमुख सदस्य थे। इन्होंने बंगाल स्वराज्य दल के मुखपत्र फार्वर्ड के संचालन का उत्तरदायित्व भी लिया। 16 जून वर्ष 1925 को देशबंधु चितरंजन दास का निधन हो गया।